मार्च ८, १९२१ में लुधियाना के एक ज़मींदार के घर अब्दुल हयी का जनम हुआ. उस समय किसी को पता नहीं था कि यह नन्हा अब्दुल हयी एक दिन साहिर बनेगा, साहिर लुधयनवी!
साहिर का मतलब है जादूगर, साहिर सचमुच का जादूगर था, शब्दों का जादूगर.
साहिर यूँ तो ज़मींदार के घर पैदा हुए थे लेकिन उनका बचपन दुखों में गुज़रा क्योंकि उनके बचपन में ही उनके बाप और माँ आपसी रंजिशों की वजह से अलग हो गये थे. इसका असर साहिर पे बाहौत गहरा पड़ा और वो जवानी में क़दम रखते रखते बड़ी दिलशिकन शायरी करने लगे.
१. ये महलों ये तखतों ये ताजों की दुनिया - प्यासा
कॉलेज में उनकी शायरी के चर्चे ज़ोरों-शॉरों से होने लगे और वो सबके चहीते शायर बन गये, ख़ास तौर पे लड़कियों के. कई बार इश्क़ हुआ, कई बार दिल टूटा...
साहिर का मतलब है जादूगर, साहिर सचमुच का जादूगर था, शब्दों का जादूगर.
साहिर यूँ तो ज़मींदार के घर पैदा हुए थे लेकिन उनका बचपन दुखों में गुज़रा क्योंकि उनके बचपन में ही उनके बाप और माँ आपसी रंजिशों की वजह से अलग हो गये थे. इसका असर साहिर पे बाहौत गहरा पड़ा और वो जवानी में क़दम रखते रखते बड़ी दिलशिकन शायरी करने लगे.
१. ये महलों ये तखतों ये ताजों की दुनिया - प्यासा
२. महफ़िल से उठ जानेवालों तुम लोगों पर क्या इल्ज़ाम - दूज का चाँद
३. तुम अगर साथ देने का वादा करो मैं यूँही मस्त नगमे लुटाता रहूँ - हमराज़
४. पर्वत पर्वत बस्ती बस्ती गाता जाए बंजारा लेकर दिल का इकतारा - रेलवे प्लेटफार्म
५. मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है - कभी-कभी